ये प्रलय क्या है ? प्रलय क्यों आती है ? क्या प्रलयकाल में प्रथ्वी जल मग्न हो जाती है ?

ये प्रलय क्या है ? प्रलय क्यों आती है ? क्या प्रलयकाल में प्रथ्वी जल मग्न हो जाती है ? और अरबों बर्ष में मनुष्य जीवन का क्या होता है ? जानिए प्रलय का वैज्ञानिक आधार।

  प्रकृति का नियम है जो जन्म लेता है उसकी म्रत्यु निश्चित है । चाहे प्रकृति जंगम है या चलायमान , जीवित या निर्जीव , वायु या आकाश , जल या अग्नि , ग्रह या नक्षत्र एक दिन सबका नष्ट होना निश्चित है। फिर दुबारा इनका जीवित होना भी निश्चित है। यह सब परमात्मा के अधीन एक चक्र है जो हमेशा चलता रहता है। प्रलय उन सब लोकों पर एक साथ आती है जो हमारे इस सूर्य के अधीन हैं तथा जो सूर्य ग्रह से संचालित है। इसी प्रकार के बहुत सारे सूर्य और भी है जिनको हम देख नहीं पाते हैं। जब एक लोक पर प्रलय आती है तो उस लोक पर अंधेरा हो जाता है, जिसके कारण वह लोक आकाश गंगा में black hole कहलाता है। इसी प्रकार से बारी-बारी से इस ब्रह्मांड में प्रलय आती रहती है। 

    हम आपको इस पृथ्वी लोक की प्रलय की वैज्ञानिक जानकारी दे रहे हैं। हमारे सूर्य के प्रकाश की अवधि 4 अरब 32 करोड़ है। इस अवधि के बाद सूर्य का प्रकाश समाप्त हो जाता है। सूर्य के प्रकाश के समाप्त होते ही सभी ग्रह अपनी गति बंद कर देते हैं। जब सभी ग्रह अपनी गति बंद कर देते हैं तो हवा, पानी, अग्नि, आकाश ये चारों तत्व पृथ्वी तत्व के साथ मिलान कर लेते हैं। जब सभी तत्व एक साथ हो जाते हैं तो पृथ्वी लोक अंधकार में चला जाता है तथा यह ब्रह्मांड एक बर्फ का गोला बन कर 84 लाख योनियों को फ्रीज़ कर देता है। तथा उस बर्फ के गोले में सभी 84 लाख योनियाँ एक साथ समाप्त हो जाती हैं। इसलिए पृथ्वी जलमग्न न होकर एक बर्फ का गोला बन कर अंधकार में चली जाती है। बर्फ का गोला इसलिए बन जाती है क्योकिं अंतरिक्ष में पानी बहुत है जिसको हम H2O भी कहते हैं। तथा 70/ नाइट्रोजन भी अंतिरिक्ष में है। जैसे ही सूर्य का तापमान समाप्त होता है तो पृथ्वी लोक का तापमान हजारों डिग्री नीचे चला जाता है। जिसके कारण पूरा यह लोक फ्रीज़ हो जाता है और बर्फ में सभी 84 लाख योनियाँ 4 अरब 32 करोड़ वर्ष तक फ्रीज़ रहती हैं और सभी प्राणियों का शरीर बर्फ में सुरक्षित फ्रीज़ रहता है। प्रलय काल में सभी प्राणियों की आत्मा परमात्मा के नाभि चक में चली जाती है। उसके बाद जब किसी दूसरे लोक में इस अवधि का प्रलयकाल समाप्त हो जाता है तो इस प्रथ्वी लोक की आत्मा उस लोक में पुनर्जन्म ले लेती हैं। 

    हम सभी प्राणी 4 अरब 32 करोड़ बर्ष के बाद पुन: जन्म लेते हैं। इतने समय के बाद परमात्मा सूर्य में प्रकाश डाल देते हैं। जैसे ही सूर्य में प्रकाश आता है तो सभी ग्रहों में जीवन आ जाता है। और सभी तत्व अग्नि, जल, वायु,  हवा चलायमान हो जाते हैं। और सभी प्राणी जिनकी प्राण वायु बर्फ के कारण फ्रीज़ थी वो पुन चालू हो जाती है। और सृष्टि का जीवन चक्र पुन: चालू हो जाता है। जब जीवन चक्र चालू होता है तो उस समय सभी प्राणियों की मेमोरी और बुद्धि समाप्त हो जाती है या हम यह कह सकते है कि मेमोरी फोर्मिट हो जाती है। फिर जीवन का आधार हमारी 5 इंद्रियों के माध्यम से चलता है। घ्राण इंद्री हमें भोजन बताती है , वासना इंद्री हमें अपना पर फीमेल पार्टनर बताती है, श्रोत इंद्री हमें शब्द और आवाज बताती है। इसी प्रकार सारे जीव शेर, हाथी, घोडा, साँप, हिरण अपना-अपना भोजन और अपने फ़ीमेल पार्टनर खोज लेते हैं।  इसी प्रकार जीवन का सिलसिला दुबारा शुरू हो जाता है।

-धर्मगुरु एचएस रावत, दिल्ली