पुरुष को कन्या, बहिन, बेटी और माँ के पैर क्यों छूने चाहिए?

पुरुष को कन्या, बहिन, बेटी और माँ के पैर क्यों छूने चाहिए ? 

और कन्या, बहिन, बेटी और माँ और स्त्री को पुरुषों के पैर क्यों नहीं छूने चाहिए ? 

क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहस्य ? 

ऋषियों ने यह परंपरा बहुत सोचकर बनाई थी । इसके वैज्ञानिक रहस्य में जाना होगा। पुरुष क्रूर ग्रहों सूर्य और मंगल से बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। तथा ज्ञान के कारक गुरु से इन दोनों के मुक़ाबले तीसरे स्थान पर होता है। मनुष्य में स्वाभाविक तौर पर क्रूरता और हिंसकता होती है। इसलिए वो जंगलों में और युद्ध के मैदान में निडरता से लड़ता है। 

स्त्री को दो बहुत ही सौम्य ग्रह चंद्रमा और शुक्र प्रभावित करते हैं। इसलिए स्त्री का स्वभाव प्राकृतिक तौर पर बहुत सहनशील और सौम्य होता है ममता और करुणा से भरा होता है। स्त्री हमेशा प्यार, दया और करुणा का प्रतीक है। यह ग्रहों के कारण होता है। 

अगर पुरुष स्त्री के पैर छूता है तो उसके अंदर स्त्री का करुणा, दया और सौम्यता का भाव आ जाता है। क्योंकि स्त्री के पैर दक्षिण ध्रुव और पुरुष का सिर उत्तर ध्रुव से मिलान होने के कारण सकारात्मक व सौम्य व करुणामय ऊर्जा परवर्तित हो जाती है। 

अगर स्त्री पुरुष के पैर छूती है तो पुरुष की क्रूरता और हिंसकता और वासना पूर्ण ऊर्जा का भाव की तरंगे परवर्तित हो जाती हैं। इसलिए कन्या, बहिन, बेटी और माँ और स्त्री को किसी भी पुरुष के पैर नहीं छूने चाहिए। चाहे कोई कितना ही बड़ा सन्यासी क्यों न हो ? 

अब यह एक ऋषिओं की बनाई हुई परंपरा है। क्या इसको अब तोड़ देना चाहिए। हमारे संस्कारों का वैज्ञानिक रहस्य है। लेकिन आजकल के सन्यासी इन परमपराओं के वैज्ञानिक रहस्य को समझने में सक्षयम नहीं है । अगर किसी देवी ने कोई परंपरा बनाई है तो उसका पालन  पुरुष को करना चाहिए। और ऋषि की परंपरा को स्त्री को पालन करना चाहिए। यही सनातन धर्म के हित में है।

-डॉ. एचएस रावत धर्मगुरु