ये कौन सी यात्रा पर निकल गईं मम्मी....चिट्टी न कोई संदेश
कल मम्मी की आवाज सुने एक महीना पूरा हो जाएगा। महीने भर की तीर्थ यात्रा पर गईं थी तब तो हर एक-दो दिन में खैर खबर का फ़ोन घर के हर शख़्स के पास आता था। आज कहाँ दर्शन किए, कहाँ ठहरे, क्या खाया, क्या देखा सबकुछ। सब लोग कह रहे हैं मम्मी पिछली ३१ तारीख़ को बग़ैर किसी तैयारी के सीधे बैकुंठधाम चली गईं। ये कैसा धाम है जहाँ से कोई अपनों को अपनी ख़ैर खबर भी नहीं दे सकता न ले सकता। बचपन में जब पापा भी ऐसे ही हम सबको बिलखता छोड़ गए थे तो मम्मी आसमान में पापा की तस्वीर दिखाती रहती थी। मगर तभी से न पापा दिखे न अब मम्मी दिखाई दे रही है।
मम्मी आपका नटखटिया पौता कल तुतलाती ज़ुबान से ये पूछ रहा था क्या सच में दादी अब देवास से नहीं लौटेंगीं। वो देवास में ही रहेगी। क्या समझाते। पहले तो फफक कर सब रो पड़े फिर कहा कि अब वो भगवान घर चलीं गई है। नन्हें मन में सवाल तो कई थे लेकिन हमे रोता देख वह सहम गया। दादी की लाड़ली बिट्टू के तो साथ ही सोते थे दादी। रात गहराती रहती लेकिन दादी-पोती की बातें कभी ख़त्म नहीं होती। शूट पर रहता या टूर पर अमूमन हर दिन खाने, ठहरने की बात के बहाने उनका फ़ोन मेरे पास आ जाया करता था। फिर अच्छा मूड भाँप कर दिन भर की बातें भी लगे हाथ कर लिया करती थीं। लेकिन पूरा एक महीना गुज़र गया न वाट्सएप पर कोई मैसेज न कॉल। रुठ गई मम्मी हम सबसे। लेकिन रुठने पर भी इतने दिनों तक बग़ैर संवाद नही रहे माँ-बेटे।
कल ढेर सारे आम लेकर आया। सीज़न का नया फल पूजा के साथ पहले भोग में और फिर बडे चाव से बच्चों के साथ रसास्वादन करना उनका शौक़ था। मैं अक्सर मम्मी की ख़ुशी के लिए ढेर सारी खाने पीने की चीज़ें लाता था। सिर्फ इसलिए भी कि वो यह सब देखकर बेहद ख़ुश हो जाया करती थीं। कहती थीं पुष्पेन्द्र की आदत उसके पापा की तरह है। खूब अच्छा खाओ और खिलाओ। मैंने बीच में डाईटिंग की तो उनका मन इसलिए दुखता की हम सब खा रहे और तू भूखा....कई बार तो ग़ुस्से में बोल भी देते तूझे नहीं खाना तो फिर हमारे लिए भी मत लाया कर। गले नीचे नहीं उतरता।
आम का बहुत शौक़ था उन्हें। आम का रस बिना आपके अब हमारे गले नीचे नहीं उतर रहा मम्मी....एक बार बस अपनी ख़ैर खबर तो सुना दो.....मन बहुत चिंतित है।
( देवास मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र वैद्य की माताजी है और कोरोना के महामारी ने हमसे उन्हें छीन लिया है। उन्होंने अपनी मन की पीड़ा इन शब्दों के साथ उकेरी है। हम अत्यधिक सावधानी बरतें और कोरोना को हराएं। पुष्पेंद्र वैद्य के फेसबुक से साभार )