आत्मा अजर अमर क्यों होती है?

 आत्मा अजर अमर क्यों होती है?

 आत्मा को न कोई मार सकता है और न कोई काट सकता है आत्मा अजर-अमर क्यों होती है ? मृत्यु के बाद आत्मा द्वारा कर्मों का फल यमराज धर्मराज कैसे देते हैं ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहस्य  ? 

आत्मा को जानने से पहले आपको मोबाइल सेट और सेटेलाइट  के सिद्धांत को समझना चाहिए । मोबाइल का अस्तत्व सिर्फ़ सेटेलाइट के साथ होता है । सेटेलाइट से आने वाली विधुत तरंगे सिर्फ़ मोबाइल को चलाती हैं । अगर तरंगे आनी बंद हो जाए तो मोबाइल मृत्यु  को प्राप्त हो जाता है । सेटेलाइट का सर्वर मोबाइल सेट की हर गतविधि को रिकॉर्ड करता है । और ये रिकॉर्ड तीन जगह पर संचित करता है । पहला मोबाइल सेट में , दूसरा सर्वर में और तीसरा कंपनी के पास होता है ।  मोबाइल के बार-बार मरने के बाद उसका नम्बर कभी नहीं मरता है। और वही नम्बर बार-बार जन्म लेता है और उसमें उसकी मेमोरी बार-बार आ जाती है। अब मोबाइल का यमराज और धर्मराज यानी इंजीनियर इस सिद्धांत को जानता है। मोबाइल  की बार-बार मृत्यु होने के बाद भी उसकी आत्मा यानी विधुत तरंग की मृत्यु कभी नहीं होती है। यही सिद्धांत मनुष्य शरीर के साथ बार-बार होता रहता है।  मनुष्य का शरीर बार-बार मरता है और आत्मा फिर किसी दूसरे शरीर में जन्म ले लेती है। 

आत्मा आकार में अणु, महाअणु, परमाणु, त्रिषेणु , महात्रिषेणु से भी सूक्ष्म होती है।  आत्मा का आकार अगर बाल के गोल हिस्से के 60 हिस्से किए जाएँ फिर एक भाग जो बचे उसके 99 हिस्से किए जाएँ फिर जो हिस्सा बचे उसके 60 हिस्से किए जाएँ तो उस हिस्से के बराबर आत्मा का आकार होता है। या हम यह कह सकते हैं कि आत्मा का आकार बाल के गोल हिस्से का  3 करोड़ 52 लाख 83 हज़ार 600 वाँ भाग होता है।  

जब हम परमाणु को जला नहीं  सकते हैं भिगो नहीं सकते हैं काट नहीं सकते हैं तो आत्मा को कैसे जलाया जा सकता है या कैसे काटा जा सकता है।  जिस प्रकार 5 तत्वों के परमाणुओं की कभी मृत्यु नहीं होती है।  ठीक इसी प्रकार आत्मा की मृत्यु नहीं होती है।  इसलिए आत्मा अजर-अमर होती है । जिस प्रकार मोबाइल सेट के मरने के बाद उसका सारा डाटा रिकवर हो जाता है ठीक इसी प्रकार मनुष्य की मृत्यु के बाद आत्मा के द्वारा उसके कर्मों का डाटा रिकवर हो जाता है। और उसी के आधार पर धर्मराज- यमराज मनुष्य को सज़ा या जन्म देते हैं। 

-धर्मगुरु डॉ. एचएस रावत