क्या पुनर्जन्म होता है....?
नईदिल्ली। क्या पुनर्जन्म होता है ? अगर होता है तो क्या पिछले जन्मों के कर्मों का फल जागृत होता है ? और उन पाप कर्मों को भोगना पड़ता है ?
चार ज्ञानी पक्षियों की कहानी
मनुष्य जैसे कर्म करता है वैसे ही संस्कार संचित होकर अगले जन्म में अवश्य ही जागृत होते हैं। अगर आप किसी पाप या श्राप के कारण मनुष्य योनि से निम्न योनि में चले जाते हो तो भी आपके अच्छे संस्कार उस निम्न योनि में जागृत हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में उस निम्न योनि में जीवन जीते हुए भी प्राणी अच्छे कर्म करेगा । अगर आप निम्न योनि से मनुष्य योनि के जन्म में आ जाते हो तो भी आप मनुष्य योनि में रह कर निम्न कर्म ही करोगे। जैसे कोई मनुष्य सर्प योनि से मनुष्य योनि में आ जाये तो वह प्राणी मनुष्य योनि में भी लोगो को काटेगा या डसेगा या जहर देकर मारेगा।
महाभारत का युद्ध चल रहा था। युद्ध के बीच में से होकर एक गर्भवती चिड़िया उड़ती हुई जा रही थी। अर्जुन का भी बाण उस चिड़िया के पेट को चीरते हुए निकल गया तथा चिड़िया के गर्भ से 4 अंडे निकल कर रेतीली जमीन पर गिर गए थे। तथा दूसरे बाण से हाथी के बगल में लटका हुआ पीतल का घंटा कट कर अंडो के ऊपर इस प्रकार से गिरा जिससे वो अंडे घंटे के नीचे दब गए थे। अब पृथ्वी के गर्मी और सूर्य की ताप से उन अंडो में बच्चे बन कर चिचहाने लग गए थे।
वहाँ से सामीक ऋषि जा रहे थे। उन्होने बच्चों की आवाज़ सुनकर उनको घंटे के नीचे से निकाल लिया तथा अपने आश्रम में ले गए थे। तथा ऋषि ने उनकी सेवा की और बच्चे बड़े हो गए। एक दिन ऋषि साम्मीक अपने आश्रम में अपने शिष्यो को प्रवचन दे रहे थे। और प्रवचनों को चारों पक्षी बड़े ध्यान से सुन रहे थे। प्रवचन सुनते-सुनते उन चारों पक्षियों का पुनर्जन्म का संस्कार जागृत हो गया। और वो पक्षी संस्कृत भाषा बोलने लगे। तथा साम्मीक ऋषि को उन पक्षियों ने प्रणाम किया था।
साम्मीक ऋषि बहुत अचंभित हुए कि ये चारों पक्षी बोल कैसे रहे हैं। सबसे पहले साम्मीक ऋषि ने उनसे मनुष्य भाषा में बोलने का रहस्य पूछा तो पक्षियों ने कहा कि गुरुजी हम पूर्वजन्म में ऋषि पुत्र थे। तथा अपने पिता के श्राप के कारण हम सभी पक्षी योनि में आ गए हैं। चारों पक्षियों ने ऋषि को बहुत विचित्र बात बताई। और कहा कि गुरुजी सभी योनियाँ के प्राणी व जानवर सभी आवाज़ों को बहुत ध्यान से सुनते हैं। और अपनी बुद्धि और मन से समझने की कोशिश करते हैं। जब हम ध्यान में मन और बुद्धि से आपके प्रवचन सुन रहे थे तो हमारे संस्कार जागृत हो गए। और उन संस्कारों में हमारा ज्ञान और संस्कृत भाषा भी संचित थी। इसलिए वो संस्कृत भाषा भी जागृत हो गयी है गुरुदेव।
आखिर उन चारों ज्ञानी पक्षियों के संस्कार कैसे जागृत हो गए थे। वो संस्कृत भाषा में कैसे बोलने लग गए थे। चारों पक्षी इतने भयंकर महाभारत के युद्ध में कैसे बच गए थे। इस पूरे सिद्धांत की वैज्ञानिक जानकारी आपको अगली पोस्ट में देने की कोशिश करूंगा।
इसलिए किसी का बुरा न सोचो, बुरा न करो, ईर्षा न करो, गाली गलौच न करो, किसी को ठगो मत, नहीं तो ज्ञानी गुरु होकर भी पक्षी, साँप, बिच्छू, नेबला, गीदड़, चूहा , बिल्ली और सूअर बन जाओगे।
-डॉ. एचएस रावत (अंतरराष्ट्रीय धर्मगुरु)