कुंडली मिलान के बाद भी हत्या क्यों हो जाती है... ?

कुंडली मिलान के बाद भी हत्या क्यों हो जाती है?

नईदिल्ली। कुंडली मिलान के बाद भी हत्या क्यों हो जाती है ? और जीवन भर क्लेश क्यों रहता है? 

कुंडली मिलान के अष्टकूट में 2 गुण वाले वश्य का क्या महत्व है ? 

पिछली पोस्ट में लिखा था कि कुंडली मिलान  के अष्टकूट में वर्ण का क्या महत्व है ? गुण मिलान सिर्फ कुंडली मिलान नहीं है यह एक छत के नीचे रहने वाले दो अंजान स्त्री और पुरुष का मन, आत्मा और शरीर का मिलान होता है। 

कुंडली मिलान में दोनों का भविष्य, चरित्र, आयु, धन , दरित्रता , रोग, नपुंष्कता , बांझपन, व्यापार, स्वभाव और सुख साधन को देखा जाता है। दोनों ही जरूरी है। लेकिन ज्योतिष में किसी एक स्थान से ही लिखना पड़ता है। तो मैंने पहले गुण मिलान से शुरुआत करने की कोशिश की है। धीरे-धीरे आगे भी बताने की कोशिश करूंगा। 

वश्य का मतलब क्या होता है ?  पहले इसको समझना चाहिए। 12 राशियों के 5 वश्य होते हैं। राशियों का स्वभाव एक दूसरे को वश में करने का होता है। 1- चतुष्पद 2- मानव , 3- जलचर , 4 - वनचर , 5 - कीट। 

1- चतुष्पद वश्य -

मेष , वृष , सिंह और धनु का उत्तार्ध  घोड़े का अगला हिस्सा तथा मकर का पूर्वार्ध, ये राशियां आती हैं । ये  सभी सिंह राशि के अधीन होती हैं। 

2- मानव - 

मिथुन , कन्या , तुला और धनु का पूर्वार्ध और कुम्भ राशि ये सभी द्विपद मानव वश्य में आती है। ये मानव राशियां 4, 10, 12 राशियां को भक्ष्य करती हैं । 

3- जलचर -

कर्क राशि , मकर का उत्तार्ध और मीन राशि जलचर होती है। कर्क को जलचर होने के बाद इसको कीट भी माना गया है। 

4- वनचर - सिंह

5 कीट  - कर्क  और वृश्चिक राशि  को कीट  माना गया है। 

अब ये सभी राशि वृश्चिक को छोडकर सिंह राशि के अधीन होती हैं। 

इस प्रकार वश्य के भी 4 वर्ग होते हैं, 1- वश्य वर्ग में यानि एक राशि दूसरे को अपने वश में रखती है। 2- मित्र वर्ग जो राशि के स्वामी एक दूसरे से मित्रता रखते हैं। 3- शस्त्रु वर्ग - राशि एक दूसरे से दुश्मनी रखती हैं। 4- भक्ष्य वर्ग - जो राशि के स्वामी एक दूसरे को खा जाते हैं। 

कुंडली मिलाते समय अब यह देखना होगा कि लड़का की राशि का वश्य का वर्ग कहीं लड़की के वर्ग का भक्ष्य तो नहीं है , कहीं शस्त्रु तो नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो कुंडली में उच्च के ग्रहों होने के बाद भी लड़का या लड़की एक दूसरे को मार देते हैं। क्योंकि उन दोनों की राशियों का वर्ग भक्ष्य था।

वर्ग का निर्णय इस प्रकार कर सकते हैं। 

गरुण वर्ग में नामाक्षर अ इ उ ए ओ

बिडाल वर्ग में नामाक्षर क ख ग घ ड.

सिंह वर्ग में नामाक्षर च छ ज झ यं

श्वान वर्ग में नामाक्षर ट ठ ड ढ ण

सर्प वर्ग में नामाक्षर त थ द ध न

मूषक वर्ग में नामाक्षर प फ़ ब भ म

हिरण वर्ग में नामाक्षर य र ल व

मेढा वर्ग में नामाक्षर श ष स ह

इन वर्गों में भक्ष्य, शत्रु, मित्र और समान वर्ग माने जाते हैं।

मूषक यानी चूहा और बिडाल यानी बिल्ली दोनों भक्ष्य हैं।

हिरण और सिंह दोनों आपस में भक्ष्य हैं।

गरुण और सर्प आपस में शत्रु हैं।

स्वान यानी कुत्ता और हिरण आपस में शत्रु हैं।

वर के नाम के पहले अक्षर से वधू के नाम का अक्षर अगर पांचवा हैं तो विवाह कदापि नहीं करना चाहिए। वर के नाम से चौथा वर्ग वधू के नाम का हो तो शादी जरूर कर देनी चाहिये, चाहे वह गरीब क्यों ना हो। वर के नाम से वधू के नाम का तीसरा वर्ग सम होता है, शादी कर ली भी जाये तो जीवन न अच्छा न बुरा होता है। यही बात वर से वधू और वधू से वर के लिये देखी जानी चाहिये।

ज्योतिष बहुत गहरा विज्ञान है। सभी विद्वानों से मेरा निवेदन है कि कोई भी फैसला जल्दी बाजी में न करे। बहुत सारे ज्योतिषियों ने लिखा था कि गुण  मिलान का कोई महत्व नहीं है। सब कुछ कुंडली पर निर्भर करता है। गुण मिलान भी कुंडली मिलान का पूरक हिस्सा है। 

ऋषियों के विज्ञान पर हम तुच्छ प्राणी उंगली नहीं उठा सकते हैं। पहले उनके विज्ञान को हमें समझ लेना चाहिए। यही हमारी उपलब्धि होगी। 

  -डॉ. एचएस रावत (आचार्य ज्योतिष व वास्तुशास्त्र )