एक अपशब्द ज़िंदगी को कैसे तबाह कर देता है ?

 एक अपशब्द ज़िंदगी को कैसे तबाह कर देता है ?

नईदिल्ली। एक अपशब्द ज़िंदगी को कैसे तबाह कर देता है ? शब्दों का विज्ञान क्या है ? शब्द कहाँ से आते हैं ? 

ये शब्द और अपशब्द का विज्ञान बहुत गहरा है। जो भी शब्द हम इस दुनियां में बोलते हैं या सोचते हैं वे सभी शब्द भगवान के शब्द कोश अंतरिक्ष से आते हैं। और जो भी बुरा या भला शब्द हम बोलते हैं वो शब्द मनुष्य के ह्रदय चक्र को चीरता हुआ मनुष्य के मस्तिष्क में संचित हो जाता है शब्दों की गति इतनी तेज होती है कि मुहं से निकला हुआ शब्द 1 सेकंड में पृथ्वी के 360 चक्कर लगा लेता है। जो शब्द बोला जाता है वो बोला हुआ शब्द बुद्धि पर कब्जा कर लेता है। उसके बाद जो शब्द चाहता है वही बुद्धि करती है। और जो बुद्धि करती है वही मन करता है। और जो मन करता है वही शरीर करता है। और जो शरीर करता है वही इस दुनियां का सत्य या असत्य, न्याय और अन्याय, धर्म और अधर्म का कर्म हो जाता है। वही हिंसा हो जाती है और हिंसा और क्रोध में बोले गए शब्द शाप बन जाते हैं। और उन्ही शब्दों को शाप के रूप में भोगना पड़ता है। 

अगर किसी स्त्री ने अपने पति को क्रोध में bloody कहा तो यह bloody शब्द पति की आत्मा को चीरता हुआ संचित हो जाएगा। जिसके कारण विवेक काम नहीं करेगा तथा पति और पत्नी के बीच तलाक हो जाएगा। एक bloody शब्द ने पूरी ज़िंदगी को तबाह कर दिया। कितना पावरफल है ये bloody शब्द। इसी प्रकार एक प्रेमिका ने अपने प्रेमी को कहा कि आप तो किसी के साथ involve हो तो यही से दोनों का प्रेम संबंध टूट जाता है। एक involve शब्द ने दोनों का प्यार भस्म कर दिया। एक गुरु को आपने एक अपशब्द बोला तो उसका शाप आपको भोगना पड़ेगा। एक अपशब्द लाखों करोड़ों लोगों की जान ले लेता है। 

महारानी द्रोपदी के एक अपशब्द के कारण करोड़ों लोग मारे गए थे। महाराजा द्रुपद के एक अपशब्द से द्रोणाचार्य को बदले की आग में तड़फने को मजबूर कर दिया था। और बाद में अर्जुन के माध्यम से बदला भी लिया था। महाराज युधिष्ठिर को एक झूठे अपशब्द के कारण नरक से होकर स्वर्ग जाना पड़ा था। एक अपशब्द से क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों को मार दिया था। एक अपशब्द से क्रोधित होकर भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को मौत के घाट उतार दिया था। 

अपशब्दों का संसार बहुत बेरहम है। यह किसी की मान मर्यादा को नहीं समझता है। यह पति-पत्नी के रिश्ते को नहीं समझता है। यह गुरु-शिष्य के रिश्ते को नहीं जानता है। यह पिता-पुत्र और माँ-बेटे के रिश्ते को भी नहीं जानता है। यह किसी भी रिश्तेदारी और सगे-संबंधियों को भी नहीं जानता है। यह किसी के एहसान को भी ही नहीं पहचानता है। यह किसी प्रेमी और प्रेमिका के पवित्र बंधन को भी नहीं समझता है।

जब अपशब्दों का हमला होता है तो यह सभी को अपने क्रोध के आवेश में लेकर सभी रिश्तों को भस्म कर देता है। इसलिए मित्रो घर हो या बाहर, फेस बुक हो या दोस्ती, आपका पवित्र बंधन हो या संबंध, व्यापार हो या नौकरी, पति हो या पत्नी, बेटा हो या बेटी, माँ हो या पिता, प्रेमी हो या प्रेमिका, गुरु हो या संत, अमीर हो या गरीब, प्रधानमंत्री हो या जनता किसी को भी अपशब्दों का प्रयौग नहीं करना चाहिए। 

कुछ लोग सुबह से शाम तक फ़ेसबुक पर किसी ना किसी नेता को या आपस में अपशब्द बोलते रहते हैं। जो हमें नहीं बोलने चाहिए। ये अपशब्द मरते समय तक आपके साथ रहते हैं और आपको चैन से नहीं मरने देते हैं। अगर क्रोध में ये शब्द निकल जाएं तो आपको तुरंत ही इन शब्दों को माफी के द्वारा संचित नहीं होने देना चाहिए। 

गुरु को बोले अपशब्द की माफी तो गुरु के चरणों में होती है। पति और पत्नी के बीच बोले गए शब्दों की माफी उनके संसर्ग मात्र से हो जाती है। माता पिता की माफी उनकी सेवा से हो जाती है। प्रेमी और प्रेमिका की माफी उनके शब्दों के आदान और प्रदान तथा माफी मांगने से ही हो जाती है। शत्रु को बोले गए अपशब्दों की माफी उनके गले मिलने मात्र से हो जाती है। और बच्चे को बोले गए अपशब्द की माफी तो प्यार करने मात्र से हो जाती है। इसलिए मित्रो अपशब्दों का प्रयोग ना करो नहीं तो ये शब्द आपके जीवन को भस्म कर देते हैं।

-डॉ. एचएस रावत

(धर्मगुरु व यूट्यूब गोल्डमेडलिस्ट)